न्यायकारी हैं लोकदेवता कलबिष्ट

अल्मोड़ा से 16 किमी. की दूरी पर अल्मोड़ा-ताकुला मोटर मार्ग में कफड़खान से लगभग तीन किमी आगे की ओर जाकर घने जंगलों के मध्य लोकदेवता कलबिष्ट का प्रसिद्ध मंदिर है। इस स्थान को अब कलबिष्ट गैराड़ गोलू धाम के नाम से जाना जाता है। मंदिर जाने के लिए बिन्सर वाइल्ड लाइफ सेन्चुरी के मुख्य प्रवेश द्वार से लगभग...

जन- जन के आराध्य हैं बाबा गंगनाथ

पर्वतीय क्षेत्रों में बाबा गंगनाथ का बड़ा मान है। वे जन- जन के आराध्य लोक देवता हैं। बाबा गंगनाथ की लोकप्रियता का प्रमाण जगह -जगह स्थापित किये गये उनके वे मंदिर हैं जो वनैले प्रान्तरों से लेकर ग्राम, नगर और राज्य की सीमा पार कर उनके भक्तों द्वारा स्थापित किये गये हैं। इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा...

कुमाऊँ में होली गायन

ऋतुराज बसंत के आगमन और फागुन के प्रारम्भ होते ही उत्तर भारत में सर्दी का खुशनुमा मौसम उमंग भरे दिलों में मीठी सिहरन भर देता है । ऋतुराज बसंत फूलों की मादकता से मानव मन को रंग डालते हैं । फगुनाहट के परिवेश में होली पर्व को कारक बनाकर गीत संगीत के माध्यम से अभिव्यक्ति की अपनी परम्परा है । कुमाऊँ में...

आध्यात्मिक ऊर्जा का केन्द्र है कसार देवी- कालीमठ पर्वत श्रृंखला

कसार देवी-कालीमठ पर्वत श्रृंखला घने वृक्षों से आच्छादित प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण एक शांतिप्रद रमणीक स्थल है जो ज्ञान की तलाश कर रहे साधकों को बर्बस अपनी ओर आकर्षित करता है। हिमालय की बर्फीली पर्वत श्रृंखलाओं को निहारने एवं आध्यात्मिक शांति की तलाश में जब-तब विश्व प्रसिद्ध चिन्तक कालीमठ पर्वत...

चंद राजाओं के सपनों का शहर है अल्मोड़ा

अल्मोड़ा चंद राजाओं के सपनों का शहर है। चंद राजाओं ने इस नगर को बसाने, सुन्दर और व्यवस्थित बनाने, जल प्रणालियों को सुरक्षित रखने तथा एक सांस्कृतिक नगर के रूप में स्थापित करने में अपना अप्रतिम योगदान दिया था। उनके द्वारा बनवाये गये नौले-धारे आज भी अल्मोड़ा की जीवन रेखा बने हुए हैं। शोभित सक्सेना...

गोल्ल मंदिर चितई-अल्मोड़ा

“काली गंगा में बगायो गोरी गंगा में उतरो तब गोरिया नाम पडो..” यह लोक काव्य की पंक्तियां कुमाऊँ के न्यायकारी लोकमानस के आराध्य देवता गोल्ल अथवा गोरिल के जागर में जगरियों द्वारा गायी जाती हैं । गोल्ल को कुमाऊं में स्थान व बोली के आधार पर अनेक नामों से पुकारा जाता है । वे चौधाणी गोरिया...

स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है काकड़ीघाट

स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक यात्रा में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित काकड़ीघाट का विशेष स्थान है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ उन्होंने ऐसी गहन अनुभूति का अनुभव किया जिसने ब्रह्मांड के बारे में उनकी जिज्ञासा का स्पष्ट समाधान किया। अभी भी काकडी़घाट का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों और आगंतुकों को...

सिस्टर निवेदिता की स्मृतियां संजोये है अल्मोड़ा का निवेदिता काॅटेज

स्वामी विवेकानंद की प्रथम विदेशी शिष्या सिस्टर निवेदिता को कौन नहीं जानता। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सिस्टर निवेदिता को भारतीय ध्यान साधना और उसके अनुसरण की प्रक्रिया का ज्ञान स्वामी विवेकानंद ने अल्मोड़ा में ही दिया था। सिस्टर निवेदिता ने अल्मोड़ा के जिस भवन मे में प्रवास किया उसे आज...

स्वामी विवेकानंद स्मारक अल्मोड़ा

महापुरूषों के जीवन में घटी घटनाओं के मूक साक्षी होने के कारण अनजान सी जगह भी कई बार पवित्र स्थली बन जाती हैं। इन स्थानों पर किया गया क्षणिक प्रवास भी इतिहास के रूप में अंकित हो जाता है। कुछ इसी तरह की कहानी...

गोल्ल मंदिर चितई-अल्मोड़ा

“काली गंगा में बगायो गोरी गंगा में उतरो तब गोरिया नाम पडो..” यह लोक काव्य की पंक्तियां कुमाऊँ के न्यायकारी लोकमानस के आराध्य देवता गोल्ल अथवा गोरिल के जागर में जगरियों द्वारा गायी जाती हैं । गोल्ल को कुमाऊं...

न्यायकारी हैं लोकदेवता कलबिष्ट

अल्मोड़ा से 16 किमी. की दूरी पर अल्मोड़ा-ताकुला मोटर मार्ग में कफड़खान से लगभग तीन किमी आगे की ओर जाकर घने जंगलों के मध्य लोकदेवता कलबिष्ट का प्रसिद्ध मंदिर है। इस स्थान को अब कलबिष्ट गैराड़ गोलू धाम के नाम से जाना जाता...

कायम है अल्मोड़ा की बाल मिठाई का असली स्वाद

अल्मोड़ा की बाल मिठाई और सिंगौड़ी पूरे देश में प्रसिद्ध है। एक जमाने से प्रसिद्ध इस मिठाई की लोकप्रियता के कारण एक दूसरे के यहां जाने आने पर उपहार के रूप में लोग बाल मिठाई ही ले जाते है। मैदानी क्षेत्रों में पलायन कर...

प्रागैतिहासिक हैं लखुडियार के शैलचित्र

लखुडियार का चित्रित शैेलाश्रय अल्मोड़ा नगर से १३ किमी. दूर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर दलबैंड के पास है । इसके बगल से ही सुआल नदी बहती है । सुआल का रूख यहां अर्धचन्द्रमा की तरह वर्तुलाकार हो जाता है । सड़क के दांयीं ओर...

डंडेश्वर देवालय जागेश्वर

जागेश्वर मंदिर समूह का प्रसि़द्ध डंडेश्वर देवालय आरतोला से जागेश्वर की ओर जाते हुए, जागेश्वर के मुख्य मंदिर समूह से लगभग एक किमी पहले, जटागंगा तथा दूध गंगा के संगम पर देवदार के घने जगल में है। दंडेश्वर मंदिर जागेश्वर...

अनूठा देवालय है गूजरदेव मंदिर, द्वाराहाट

द्वाराहाट नगर अल्मोड़ा जनपद का प्रमुख ऐतिहासिक व सांस्कृतिक केन्द्र है जहां कत्यूरी राजाओं ने अनेक नौले व देवालय बनवाये थे। समूचे द्वाराहाट में ही यूॅू तो देवालयों की प्रचुरता है लेकिन वास्तु, शैली एवं पुरातत्व की...

कपिलेश्वर मंदिर समूह

अल्मोड़ा नगर से १२ किमी. दूरी पर स्थित क्वारब से मौना-सरगाखेत जाने वाले मार्ग पर ३ किमी. चल कर सैज़ ग्राम ने पहुँचा जा सकता है जहाँ कपिलेश्वर मंदिर समूह के नाम से जाने जा रहे तीन मंदिरो का समूह है । मंदिर समूह चिताभूमि...

बाबा हुसैन अली शाह की मजार

अल्मोड़ा नगर में चंद वंश का शासन सन् 1790 ई0 में गोरखों के आगमन के साथ ही समाप्त हो गया। गोरखा शासन भी अपने अत्याचारों के कारण यहाँ अधिक लम्बे समय तक नहीं चल पाया और अंग्रेजों ने अल्मोड़ा नगर में सन् 1815 में गोरखों को...

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