जो नरजीवे खेले फाग

पहाड़ की होलियों का सामाजिक व सांस्कृतिक परिदृश्य कई मायनों में देश के अन्य प्रान्तों व इलाकों से अलग दिखायी देता है। दरअसल पहाड़ में होने वाली होलियां स्थानीय प्रकृति समाज के साथ बहुत गहराई के साथ जुड़ी हुई हैं। यहां की होलियों में स्थानीय लोक सम्पूर्णता के साथ समाहित है। हांलाकि यहां प्रचलित...

नंदादेवी राजजात कुमाऊँ-2000

नंदा राजजात की परम्परा कुमाऊँ में किस तरहसे प्रारम्भ हुई इस विषय में इतिहास मौन है। नंदादेवी सम्भ्वतः कत्यूरी नरेशों की भी ईष्ट देवी थी। कत्यूरी नरेश ललितशूरदेव के ई.853 के ताम्रपत्र में वंश शाखा संस्थापक निंबर को नंदादेवी के चरण की शोभा से धन्य होना कहा गया है-भूपाल ललित कीर्ति: नंदाभगवती...

देवता आह्वानकी विशिष्ट प्रक्रिया है- जागर

कुमाउनी भाषा में जागर शब्द का अर्थ है–देवता को जागृत करना । जागर के अन्तर्गत कुमाऊँ में देवता आह्वान की वह विशिष्ट प्रक्रिया आती है जिसके अन्तर्गत गायन और नृत्य के आधार पर किसी मानव शरीर पर देवता, भूत प्रेत आदि को जागृत कर अवतरित किया जाता है । महेन्द्र बजेठा कुमाउनी परिवारों में जागर के...

कुमाऊँ में होली गायन

ऋतुराज बसंत के आगमन और फागुन के प्रारम्भ होते ही उत्तर भारत में सर्दी का खुशनुमा मौसम उमंग भरे दिलों में मीठी सिहरन भर देता है । ऋतुराज बसंत फूलों की मादकता से मानव मन को रंग डालते हैं । फगुनाहट के परिवेश में होली पर्व को कारक बनाकर गीत संगीत के माध्यम से अभिव्यक्ति की अपनी परम्परा है । कुमाऊँ में...

रोपाई आयोजन – हुड़किया बौल

पर्वतीय क्षेत्रों की दुर्गम भूमि को उर्वरा करने के लिए यहाँ की महिलाओं ने अत्यधिक श्रम से धरती को सींचा है। दुर्जेय पर्वत मालाओं के बीच रमणीय घाटियों में धान की सुनहली बालियों के खेत दूर से आकर्षित तो जरूर करते हैं लेकिन उनको रोपने, सींचने में अपार श्रम लगा है। रोजी रोटी की तलाश में मैदान की ओर...

श्रेणी: लोक आयोजन

हिमवान » लोक आयोजन

जो नरजीवे खेले फाग

पहाड़ की होलियों का सामाजिक व सांस्कृतिक परिदृश्य कई मायनों में देश के अन्य प्रान्तों व इलाकों से अलग दिखायी देता है। दरअसल पहाड़ में होने वाली होलियां स्थानीय प्रकृति समाज के साथ बहुत गहराई के साथ जुड़ी हुई हैं। यहां...

नंदादेवी राजजात कुमाऊँ-2000

नंदा राजजात की परम्परा कुमाऊँ में किस तरहसे प्रारम्भ हुई इस विषय में इतिहास मौन है। नंदादेवी सम्भ्वतः कत्यूरी नरेशों की भी ईष्ट देवी थी। कत्यूरी नरेश ललितशूरदेव के ई.853 के ताम्रपत्र में वंश शाखा संस्थापक निंबर को...

देवता आह्वानकी विशिष्ट प्रक्रिया है- जागर

कुमाउनी भाषा में जागर शब्द का अर्थ है–देवता को जागृत करना । जागर के अन्तर्गत कुमाऊँ में देवता आह्वान की वह विशिष्ट प्रक्रिया आती है जिसके अन्तर्गत गायन और नृत्य के आधार पर किसी मानव शरीर पर देवता, भूत प्रेत आदि को...

कुमाऊँ में होली गायन

ऋतुराज बसंत के आगमन और फागुन के प्रारम्भ होते ही उत्तर भारत में सर्दी का खुशनुमा मौसम उमंग भरे दिलों में मीठी सिहरन भर देता है । ऋतुराज बसंत फूलों की मादकता से मानव मन को रंग डालते हैं । फगुनाहट के परिवेश में होली पर्व...

रोपाई आयोजन – हुड़किया बौल

पर्वतीय क्षेत्रों की दुर्गम भूमि को उर्वरा करने के लिए यहाँ की महिलाओं ने अत्यधिक श्रम से धरती को सींचा है। दुर्जेय पर्वत मालाओं के बीच रमणीय घाटियों में धान की सुनहली बालियों के खेत दूर से आकर्षित तो जरूर करते हैं...

दशहरा महोत्सव अल्मोड़ा

अल्मोड़ा अत्यंत सुन्दर व सुरम्य पर्वतीय स्थलों में से एक है। यदि एक बार अल्मोड़ा के आसपास की नैसर्गिक सुन्दरता एवं दशहरा महोत्सव को देख लिया तो निश्चित ही मन बार-बार यहाँ आने के लिए प्रयत्न करेगा । कार्तिक मास में मनाये...

bagwal devidhura

बगवाल

देवीधुरा में वाराही देवी मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष रक्षावन्धन के अवसर पर श्रावणी पूर्णिमा को पत्थरों की वर्षा का एक विशाल मेला जुटता है । मेले को ऐतिहासिकता कितनी प्राचीन है इस विषय में मत-मतान्तर हैं । लेकिन आम...

कूर्मांचल की रामलीला का समृद्ध इतिहास है

देश की प्रसिद्व रामलीलाओं में कूर्माचलीय रामलीला का एक समृद्ध इतिहास है। कूर्मांचलीय रामलीला ने हिन्दी रंगमंच के इतिहास तथा देश की प्रसिद्ध रामलीलाओं में अपनी मौलिकता, कलात्मकता, संगीत एवं रागरागिनियों में निबद्ध होने...

नन्दा राजजात

हिमालय की पुत्री और शिव की अर्धांगिंनी नंदा कुमाऊॅं और गढ़वाल वासियों के हृदय मैं रची बसी हैं। समूचे उत्तराखण्ड में उन्हें आद्याशक्ति पार्वती का रूप तो माना ही जाता है, उन्हें बहिन-बेटी मानकर भी जो स्नेह मिला है वह अन्य...

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