ऐतिहासिक है अल्मोड़ा का रामशिला मंदिर

अल्मोड़ा नगर के अति प्राचीन देवालयों में रामशिला मंदिर का स्थान पहला है। अल्मोड़ा की बसासत के दूसरे चरण के अन्तर्गत राजा रूद्रचंद के कार्यकाल में वर्ष 1588-89 में एक नये अष्ट पहल राजनिवास का निर्माण नगर के मध्य में करवाया गया था जो मल्ला महल कहलाता था। इसी मल्ला महल के केन्द्र में रामशिला मंदिर...

गोल्ल मंदिर चितई-अल्मोड़ा

“काली गंगा में बगायो गोरी गंगा में उतरो तब गोरिया नाम पडो..” यह लोक काव्य की पंक्तियां कुमाऊँ के न्यायकारी लोकमानस के आराध्य देवता गोल्ल अथवा गोरिल के जागर में जगरियों द्वारा गायी जाती हैं । गोल्ल को कुमाऊं में स्थान व बोली के आधार पर अनेक नामों से पुकारा जाता है । वे चौधाणी गोरिया...

चंद राजाओं के सपनों का शहर है अल्मोड़ा

अल्मोड़ा चंद राजाओं के सपनों का शहर है। चंद राजाओं ने इस नगर को बसाने, सुन्दर और व्यवस्थित बनाने, जल प्रणालियों को सुरक्षित रखने तथा एक सांस्कृतिक नगर के रूप में स्थापित करने में अपना अप्रतिम योगदान दिया था। उनके द्वारा बनवाये गये नौले-धारे आज भी अल्मोड़ा की जीवन रेखा बने हुए हैं। शोभित सक्सेना...

हिमालय में प्रसारित प्रथम मुद्रायें हैं कुणिंद सिक्के

अल्मोड़ा का राजकीय संग्रहालय अपनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों के कारण इतिहासविदों, मुद्रा शास्त्रियों एवं पर्यटकों का आकर्षण बना हुआ है। यहां प्रदर्शित दुर्लभ कुणिन्द मुद्रायें केवल अल्मोड़ा, शिमला (हिंमाचल प्रदेश) तथा ब्रिटिश म्यूजियम में ही हैं। प्रारम्भ में कुणिन्दों की मुद्रायें केवल अल्मोड़ा...

न्यायकारी हैं लोकदेवता कलबिष्ट

अल्मोड़ा से 16 किमी. की दूरी पर अल्मोड़ा-ताकुला मोटर मार्ग में कफड़खान से लगभग तीन किमी आगे की ओर जाकर घने जंगलों के मध्य लोकदेवता कलबिष्ट का प्रसिद्ध मंदिर है। इस स्थान को अब कलबिष्ट गैराड़ गोलू धाम के नाम से जाना जाता है। मंदिर जाने के लिए बिन्सर वाइल्ड लाइफ सेन्चुरी के मुख्य प्रवेश द्वार से लगभग...

सिस्टर निवेदिता की स्मृतियां संजोये है अल्मोड़ा का निवेदिता काॅटेज

स्वामी विवेकानंद की प्रथम विदेशी शिष्या सिस्टर निवेदिता को कौन नहीं जानता। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सिस्टर निवेदिता को भारतीय ध्यान साधना और उसके अनुसरण की प्रक्रिया का ज्ञान स्वामी विवेकानंद ने अल्मोड़ा में ही दिया था। सिस्टर निवेदिता ने अल्मोड़ा के जिस भवन मे में प्रवास किया उसे आज...

कुमाऊँ की आराध्य देवी हैं – हाट कालिका गंगोलीहाट

यूँ तो कुमाऊँ का कण-कण सौन्दर्य से परिपूर्ण है लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी हैं जहा जाकर मन सम्मोहन की सीमा में पहुंच जाता है । पिथौरागढ जनपद के गंगोलीहाट कस्बे का काली मंदिर इनमें से एक है । गंगोली कस्बे की खूबसूरत घाटी में बना हाट कालिका मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं तथा साधकों को श्रद्धा से वशीभूत करता...

भक्तों की सुनते हैं बाबा नीम करोली

एक युवा तेजस्वी साधक अपनी लय में चिमटा कमंडल जैसे परम्परागत साधुओं के सामान सहित टुण्डला की ओर जाती एक रेलगाड़ी के प्रथम श्रेंणी के डिब्बे में बैठ गया। एंग्लो इंडियन टिकट चैकर को इस अधनंगे साधु की यह धृष्टता नहीं भायी । उसने क्रोधित होकर साधु से जब टिकट मांगा तो साधु ने टिकट देने से भी इंकार कर...

शिखरों के लोक में बसन्त

भारतीय संस्कृति में नदी, पहाड़, पेड़-पौंधे पशु-पक्षी, लता व फल-फूलों के साथ मानव का साहचर्य और उनके प्रति संवेदनशीलता का भाव हमेशा से रहा है। प्रकृति और मानव के इस अलौकिक सम्बन्ध को स्थानीय लोक ने समय-समय पर गीत, संगीत...

उत्तराखंड के पुरातत्व की गौरव गाथा

मनीषियों द्वारा प्रतिपादित हिमालय के पांच भागों नेपाल, कूर्मांचल, केदार, जलंधर तथा कश्मीर में से दो केदार तथा कूर्मांचल को मिलाकर ही वर्तमान का उत्तरांचल राज्य बना है। पी0 बैरन ने वांडरिंग्स इन द हिमाल में इस पर्वतीय...

प्रकृति और मानव के सह-रिश्तों का पर्व है सातूं-आठूं

कुमाऊँ में ‘सातूं-आठूं’ का पर्व ‘गमरा-मैसर’ अथवा ‘गमरा उत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व नेपाल और भारत की साझी संस्कृति का प्रतीक है। पिथौरागढ़ व चंपावत जिलों के सीमावर्ती...

शिल्प में पार्वती

कुमाउ मंडल से प्राप्त शाक्त प्रतिमाओं में देवी पार्वती की सर्वाधिक प्रतिमायें प्राप्त होती हैं ।बाल्यावस्था में इनका नाम गौरी था जब ये विवाह योग्य हुईं तो इन्होंने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिये घोर तपस्या की।...

शिल्प में महिषासुरमर्दिनी

 प्राचीन भारतीय वाङमय में शक्ति उपासना की परम्परा सम्भवतः देवी शक्ति से सामर्थ ग्रहण करने के उद्देश्य से ही की जाती होगी । साहित्यिक स्त्रोतों एवं पुरातात्विक उत्खननके आधार पर शक्ति उपासना की परम्परा व विकास का...

कौसानी में राष्ट्र्पिता ने लिखा था अनासक्ति योग

राष्ट्र्पिता महात्मा गांधी ने वर्ष 1929 की जून-जुलाई माह में कौसानी में रह कर गीता पर अपनी प्रसिद्ध टीका अनासक्ति योग की रचना की थी। महात्मा गांधी के आने से पहले कौसानी मात्र उजड़े हुए चाय बागानों के लिए ही जानी जाती थी...

नेहरू जी के प्रवास का प्रतीक है अल्मोड़ा का जिला कारागार

अल्मोड़ा जिला कारागार का अद्भुत इतिहास है। यहाँ गोविंद वल्लभ पंत, जवाहर लाल नेहरु, खान अब्दुल गफ्फार खान,आचार्य नरेन्द्रदेव, बद्रीदत्त पांडे,विक्टर मोहन जोशी आदि महान क्रांतिकारियों ने अपने कारावास की अवधि व्यतीत की है।...

अल्मोड़ा का गौरवशाली इतिहास है

अल्मोड़ा नगर का इतिहास पुराना है। अल्मोड़ा नगर के आसपास प्राचीन बसासत के पर्याप्त प्रमाण काफी संख्या में मिलते हैं। जिनमें कसारदेवी स्थित प्रागैतिहासिक शैलचित्र, उखल, माट-मटेना के शैलचित्र तथा कसारदेवी का रूद्रक शिलालेख...

अल्मोड़ा के मल्ला महल का समृद्ध इतिहास है

अल्मोड़ा की बसासत के दूसरे चरण के अन्तर्गत राजा रूद्रचंद के कार्यकाल 1588-89 में एक नये अष्ट पहल राजनिवास का निर्माण नगर के मध्य में करवाया गया था जो मल्ला महल कहलाता है। इस महल के संरचनागत निर्माण से लगता है कि देवी...

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