चंद राजाओं के सपनों का शहर है अल्मोड़ा

अल्मोड़ा चंद राजाओं के सपनों का शहर है। चंद राजाओं ने इस नगर को बसाने, सुन्दर और व्यवस्थित बनाने, जल प्रणालियों को सुरक्षित रखने तथा एक सांस्कृतिक नगर के रूप में स्थापित करने में अपना अप्रतिम योगदान दिया था। उनके द्वारा बनवाये गये नौले-धारे आज भी अल्मोड़ा की जीवन रेखा बने हुए हैं। शोभित सक्सेना...

गोल्ल मंदिर चितई-अल्मोड़ा

“काली गंगा में बगायो गोरी गंगा में उतरो तब गोरिया नाम पडो..” यह लोक काव्य की पंक्तियां कुमाऊँ के न्यायकारी लोकमानस के आराध्य देवता गोल्ल अथवा गोरिल के जागर में जगरियों द्वारा गायी जाती हैं । गोल्ल को कुमाऊं में स्थान व बोली के आधार पर अनेक नामों से पुकारा जाता है । वे चौधाणी गोरिया...

आध्यात्मिक ऊर्जा का केन्द्र है कसार देवी- कालीमठ पर्वत श्रृंखला

कसार देवी-कालीमठ पर्वत श्रृंखला घने वृक्षों से आच्छादित प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण एक शांतिप्रद रमणीक स्थल है जो ज्ञान की तलाश कर रहे साधकों को बर्बस अपनी ओर आकर्षित करता है। हिमालय की बर्फीली पर्वत श्रृंखलाओं को निहारने एवं आध्यात्मिक शांति की तलाश में जब-तब विश्व प्रसिद्ध चिन्तक कालीमठ पर्वत...

शुभता और मांगल्य की प्रतीक है कुमाउनी नथ

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में महिलाओं की मांगलिक परिधान एवं आभूषणों को लेकर यदि पहली पसंद पूंछी जाये तो उनका उत्तर होगा- पिछौड़ा एवं नथ। नथ ग्रामीण हो या शहरी सभी महिलाओं की सर्वप्रिय मांगलिक आभूषण है। शायद ही कोई अवसर ऐसा होगा जब परिवार में उत्सव हो, संस्कार हो, अनुष्ठान सम्पन्न किया जाने वाला...

जन- जन के आराध्य हैं बाबा गंगनाथ

पर्वतीय क्षेत्रों में बाबा गंगनाथ का बड़ा मान है। वे जन- जन के आराध्य लोक देवता हैं। बाबा गंगनाथ की लोकप्रियता का प्रमाण जगह -जगह स्थापित किये गये उनके वे मंदिर हैं जो वनैले प्रान्तरों से लेकर ग्राम, नगर और राज्य की सीमा पार कर उनके भक्तों द्वारा स्थापित किये गये हैं। इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा...

ऐतिहासिक है अल्मोड़ा का शै भैरव मंदिर

शिव रूप भैरव रक्षक देवता हैं। भारत वर्ष के अनेक किलों में उनकी स्थापना गढ़ के रक्षक के रूप में की गई है। अल्मोड़ा नगर में भी रक्षक देवता के रूप में उनकी स्थापना नगर के प्रमुख स्थानों में अष्ट भैरव रूप में की गई थी। अल्मोड़ा में अष्ट भैरव मंदिरों की स्थापना का सम्बन्ध चंद शासक उद्योत चंद (1678-98)...

स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है काकड़ीघाट

स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक यात्रा में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित काकड़ीघाट का विशेष स्थान है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ उन्होंने ऐसी गहन अनुभूति का अनुभव किया जिसने ब्रह्मांड के बारे में उनकी जिज्ञासा का स्पष्ट समाधान किया। अभी भी काकडी़घाट का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों और आगंतुकों को...

कुमाऊँ के देवालय – निर्माण तथा परिरक्षण

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में प्राचीन मंदिरोंके निर्माण की परम्परा लगभग सातवीं शती से निरन्तर पल्लवित होती रही है। इस क्षेत्र में मंदिर निर्माण क्रमानुसार लकड़ी, ईंट तथा मजबूत पत्थरों इत्यादि से हुआ। लकड़ी की प्रकृति दीर्घजीवी न होने के कारण काष्ठ निर्मित मंदिरों के निर्माण की परम्परा का अवसान...

स्वामी विवेकानंद और महान वैज्ञानिक रोनाल्ड रास की यादों से जुड़ा है थाॅमसन हाउस

स्वामी विवेकानंद की अल्मोड़ा यात्राओं का यदि सन्दर्भ लिया जाये तो थाॅमसन हाउस का उल्लेख होना स्वाभाविक है। हिमालय यात्रा के दौरान अल्मोड़ा से स्वामी विवेकानंद की अनेक यादें जुड़ी हुई हैं। वह वर्ष 1898 में कई दिनों तक...

इंडो-यूरोपियन शैली में निर्मित है अल्मोड़ा का नार्मल स्कूल

अल्मोड़ा नगर में तराशे गये स्थानीय पत्थरों से बना गवर्नमेंट नार्मल स्कूल इंडो-यूरोपियन शैली की दर्शनीय विरासत है। यूरोपियन तथा भारतीय शिल्प समन्वय से बने इस भवन में यूरोपियन स्टाइल के बुर्ज, खिड़की, दरवाजे, मेहराब तथा...

महाकवि टैगोर के प्रवास का प्रतीक है टैगोर हाउस

छावनी क्षेत्र में निर्मित एवं देवदार के वृक्षों से आच्छादित गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के अल्मोड़ा प्रवास का साक्षी टैगोर हाउस आज भी अल्मोड़ा नगर की सबसे भव्य और विशाल इमारतों में से एक है। सूर्यास्त का इतना विहंगम...

जन- जन के आराध्य हैं बाबा गंगनाथ

पर्वतीय क्षेत्रों में बाबा गंगनाथ का बड़ा मान है। वे जन- जन के आराध्य लोक देवता हैं। बाबा गंगनाथ की लोकप्रियता का प्रमाण जगह -जगह स्थापित किये गये उनके वे मंदिर हैं जो वनैले प्रान्तरों से लेकर ग्राम, नगर और राज्य की...

हरेला पर्व : सुघड़ हाथों की करामात हैं – डिकारे

कुमाउनी जन जीवन में भित्तिचित्रों के अतिरिक्त भी महिलाएँ अपनी धार्मिक आस्था के आयामों को माटी की लुनाई के सहारे कलात्मक रूप से निखारती हैं। हरेला के त्योहार पर, जो प्रतिवर्ष श्रावण माह के प्रथम दिवस पड़ता है, बनाये जाने...

अद्भुत है – बोगनवेलिया और देवदार का मिलन

अल्मोड़ा नगर के जिन सौन्दर्य स्थलों को देखने पर्यटक आते रहते हैं उनमें एक है मुख्य डाकघर के पास स्थित भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत को समर्पित छोटा सा पार्क जहां बोगेनवेलिया की आसमान छूती बेल प्रकृति का दुर्लभ नजारा...

खगमरा कोट मंदिर

अल्मोड़ा नगर की बाहरी सीमा पर दुगालखोला के पास पुलिस लाइन के नजदीक पहुंचने वाले मोटर मार्ग में सड़क से कुछ नीचे ऐतिहासिक खगमरा कोट नामक प्राचीन स्थल है जिसे चम्पावत के चंदवंशीय शासक भीष्म चंद ने 1559-60 में कत्यूरी...

सिद्ध संतो की साधना स्थली है काकड़ीघाट का सोमवारी बाबा आश्रम

भारत में संत परम्परा के अग्रणीय संत सोमवार गिरी के काकड़ीघाट आश्रम की जानकारी कम ही लोगों को है। हल़्द्वानी से अल्मोड़ा की ओर जाने वाले मार्ग पर खैरना कस्बे से आगे कोसी नदी के तट पर पश्चिम की ओर काकड़ीघाट महान सिद्ध...

सिस्टर निवेदिता की स्मृतियां संजोये है अल्मोड़ा का निवेदिता काॅटेज

स्वामी विवेकानंद की प्रथम विदेशी शिष्या सिस्टर निवेदिता को कौन नहीं जानता। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सिस्टर निवेदिता को भारतीय ध्यान साधना और उसके अनुसरण की प्रक्रिया का ज्ञान स्वामी विवेकानंद ने अल्मोड़ा में ही...

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