अल्मोड़ा अत्यंत सुन्दर व सुरम्य पर्वतीय स्थलों में से एक है। यदि एक बार अल्मोड़ा के आसपास की नैसर्गिक सुन्दरता एवं दशहरा महोत्सव को देख लिया तो निश्चित ही मन बार-बार यहाँ आने के लिए प्रयत्न करेगा । कार्तिक मास में मनाये...
डीडीहाट तहसील से गंगोलींहाट कस्बे से ११ किमी. की दूरी पर पट्टी तल्ला बडाऊँ माना डीडीहाट क्षेत्र से पाताल भुवनेश्वर नामक ग्राम है । इस गांव में एक प्राचीन दर्शनीय गुफा भूगर्भ के अन्दर है । भूगर्भ के अन्दर की वृहदाकार...
यूँ तो कुमाऊँ का कण-कण सौन्दर्य से परिपूर्ण है लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी हैं जहा जाकर मन सम्मोहन की सीमा में पहुंच जाता है । पिथौरागढ जनपद के गंगोलीहाट कस्बे का काली मंदिर इनमें से एक है । गंगोली कस्बे की खूबसूरत घाटी में...
देवीधुरा में वाराही देवी मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष रक्षावन्धन के अवसर पर श्रावणी पूर्णिमा को पत्थरों की वर्षा का एक विशाल मेला जुटता है । मेले को ऐतिहासिकता कितनी प्राचीन है इस विषय में मत-मतान्तर हैं । लेकिन आम...
पर्वतीय क्षेत्रों के रिहायशी भवनों के बिभिन्न भागो को मांगलिक अवसरों पर महिलाओं द्वारा रचायेगये नयनाभिराम आलेखन नववधू जैसा सजाते हैं। चन्द्र शेखर पंत, हल्द्वानी इस क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी लोक कला को जीवित रखने के लिए...
अल्मोड़ा का राजकीय संग्रहालय अपनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों के कारण इतिहासविदों, मुद्रा शास्त्रियों एवं पर्यटकों का आकर्षण बना हुआ है। यहां प्रदर्शित दुर्लभ कुणिन्द मुद्रायें केवल अल्मोड़ा, शिमला (हिंमाचल प्रदेश) तथा...
<p></p> हिमालय की भारत के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्वामी विवेकानंद तो हिमालय की इस आध्यामिक भूमिका के हमेशा ही प्रशंसक रहे। उन्होने कुमाऊँ हिमालय की चार बार यात्रायें की।...
अल्मोड़ा से सात किमी की दूरी पर अल्मोड़ा-कफड़खान मार्ग पर कसारदेवीे का प्रसिद्ध देवालय स्थित है। इस देवालय के बांयी ओर पश्चिम दिशा में एक संकरा रास्ता पगडंडी की तरह बना हुआ है जो उस चट्टान तक ले जाता है जिस पर कभी किसी...
कसार देवी-कालीमठ पर्वत श्रृंखला घने वृक्षों से आच्छादित प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण एक शांतिप्रद रमणीक स्थल है जो ज्ञान की तलाश कर रहे साधकों को बर्बस अपनी ओर आकर्षित करता है। हिमालय की बर्फीली पर्वत श्रृंखलाओं को...
नन्दादेवी परिसर में तीन देवालय विद्यमान हैं । इनमें से दो मंदिर उद्योतचन्देश्वर तथा पार्वतेश्वर मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से पुराविदों एवं स्थापत्य में रुचि रखने वालों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बने हैं । तीसरा...