लेखक: कौशल किशोर सक्सेना

अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत है- कटारमल सूर्य मंदिर

कटारमल का सूर्य मंदिर-उत्तर भारत की मध्य कालीन वास्तुकृतियों में विशिष्ट स्थान रखता है। अल्मोड़ा नगर से 13 किमी की दूरी पर बसे कोसी कस्बे से डेढ़़ किमी0 की पैदल चढ़ाई चढ़ कर अथवा कोसी बाजार से लगभग दो किमी आगे से मोटर मार्ग...

कुमाऊँ के भवनों का काष्ठ शिल्प

प्रागैतिहासिक मानव के कदम ज्यो-ज्यों सभ्यता की ओर की बढे उसकी पहली नजर लकड़ी पर पड़ी जो अपनी प्रकृति के कारण मानव आश्रयों के अभिप्राय गढ़ने के लिए कहीं ज्यादा उपयुक्त थी। ज्यों-ज्यों मानव का कला और अलंकरणों के प्रति झुकाव...

अपनी कलाऔर पुरासम्पदा लिए बेजोड़ है बमन सुआल मंदिर समूह

बमन सुआल वैसे तो एक छोटे से गांव का नाम है जो अल्मोड़ा जनपद के पट्टी मल्ला लखनुपुर से 6 किमी की दूरी पर सुआल नदी तथा थमिया के गधेरे के पास स्थित है। लेकिन बमन सुआल गांव में स्थित एकादश रूद्र नाम का प्राचीन मंदिर समूह...

अद्भुत शिल्प है एक हथिया देवाल का

पिथौरागढ जनपद का यह प्रसिद्ध देवालय बेरीनाग के निकट थल नामक स्थान से डेढ़-दो किमी. की दूरी पर अल्मियां नामक गांव में स्थित है । कभी यह परम्परागत शिल्पियों का गाँव भी रहा है । इसी गाँव के मध्य में स्थित एक जल प्रपात है...

कामदेव भी पूजे जाते थे उत्तराखंड में

भारतीय साहित्य में अनुरागी मन को मथने वाले जिस देवता का उल्लेख है -वह हैं कामदेव। वे तन को सक्रिय रखकर, मन को निरन्तर मथते रहते हैं, इसलिए उनका नाम मन्मथ भी है। वह सभी देवों से पहले उपत्न्न हुए इसलिए उन्हें अग्रजन्मा...

बागनाथ मन्दिर समूह-परम्परा एवं शिल्प

अल्मोड़ा से लगभग 85 किमी. की दूरी पर स्थित तल्ला कत्यूर में गोमती-सरयू के संगम पर बागेश्वर जिले का मुख्यालय बागेष्वर स्थित है । इसे उत्तराखण्ड का प्रयाग भी कहा जाता है । लोकोक्ति हैं कि जिस प्रकार भगीरथ ने गंगा का अवतरण...

दुर्लभ कलानिधि है पोण राजा की प्रतिमा

देश की धातु निर्मित सर्वाेत्तम कलानिधियों एवं प्रतिमाओं का यदि उल्लेख किया जाये तो यह निश्चित है कि कत्यूरियों के आदि पुरूष पोण राजा की धातु निर्मित प्रतिमा देश की सर्वश्रेष्ठ कलानिधियों में शीर्ष पर रहेगी। यह प्रतिमा...

नंदादेवी मेला – अल्मोड़ा

समूचे पर्वतीय क्षेत्र में हिमालय की पुत्री नंदा का बड़ा सम्मान है । उत्तराखंड में भी नंदादेवी के अनेकानेक मंदिर हैं । यहाँ की अनेक नदियाँ, पर्वत श्रंखलायें, पहाड़ और नगर नंदा के नाम पर है । नंदादेवी, नंदाकोट, नंदाभनार...

कुमाऊँ की धर्मशालायें

पर्वतीय क्षेत्र के पुराने पैदल यात्रा मार्ग पर जाने वाले यात्रियों को वीरान क्षेत्रों में नौ-नौ मील की दूरी पर पत्थर से बने हुए बिना दरवाजे के भवन सहज ही आकर्षित करते हैं। ये वे धर्मशालायें हैं जिनका प्रयोग पूर्व में...

ज्योतिर्लिंग जागेश्वर

हिमालय शिव का आवास है । इसकी पर्वत श्रेणियों पर शिव सर्वत्र विचरण करते हैं। शिव के उन्मुक्त विचरण के कारण ही मध्य हिमालय की इन श्रृंखलाओं को शिवालिक के नाम से जाना जाता है । इसी शिवालिक अंचल में अल्मोड़ा नगर से ३५ किमी...

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