शिल्प में पार्वती

कुमाउ मंडल से प्राप्त शाक्त प्रतिमाओं में देवी पार्वती की सर्वाधिक प्रतिमायें प्राप्त होती हैं ।बाल्यावस्था में इनका नाम गौरी था जब ये विवाह योग्य हुईं तो इन्होंने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिये घोर तपस्या की। तपस्यारत देवी पार्वती कहलाने लगीं । शिव से विवाह हो जाने के उपरान्त इन्हें उमा...

कुमाऊँ की सूर्य प्रतिमाएं

आकाश में दिखाई देने वाले ज्योति पिंड के रूप में सूर्य की उपासना का क्रम वैदिक काल से चला आ रहा है । सूर्य और उसके विविध रूपों की पूजा उत्तर वैदिक काल से पल्लवित होती रही है। वेदोत्तर काल से इसका और भी विस्तार हुआ । गुप्तकाल और परवर्ती साहित्य से ज्ञात होता है कि सूर्य उपासकों का एक पृथक से...

शिल्प में महिषासुरमर्दिनी

 प्राचीन भारतीय वाङमय में शक्ति उपासना की परम्परा सम्भवतः देवी शक्ति से सामर्थ ग्रहण करने के उद्देश्य से ही की जाती होगी । साहित्यिक स्त्रोतों एवं पुरातात्विक उत्खननके आधार पर शक्ति उपासना की परम्परा व विकास का विधिवत पता चलता है । चंद्र सिंह चौहान उत्तराखंड के पुरातात्विक सर्वेक्षणों में...

कामदेव भी पूजे जाते थे उत्तराखंड में

भारतीय साहित्य में अनुरागी मन को मथने वाले जिस देवता का उल्लेख है -वह हैं कामदेव। वे तन को सक्रिय रखकर, मन को निरन्तर मथते रहते हैं, इसलिए उनका नाम मन्मथ भी है। वह सभी देवों से पहले उपत्न्न हुए इसलिए उन्हें अग्रजन्मा कहा गया है। वह सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का मूल हैं। कामदेव एक सामान्य देवता...

उत्तराखंड में कुबेर

उत्तर दिशा के दिक्पाल कुबेर धन व विलास के देवता कहे गये हैं। वे यक्षों के अधिपति हैं। प्राचीन ग्रंथों में उन्हें वैश्रवण, निधिपति एवं धनद नामों से भी सम्बोधित किया गया है। वे ब्रहमा के मानस पुत्र पुलस्त ऋषि तनय वैश्रवा के बेटे माने गये हैं। वैश्रवा सुत होने के कारण ही उन्हें वैश्रवण नाम दिया गया...

श्रेणी: देव प्रतिमाएं

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शिल्प में पार्वती

कुमाउ मंडल से प्राप्त शाक्त प्रतिमाओं में देवी पार्वती की सर्वाधिक प्रतिमायें प्राप्त होती हैं ।बाल्यावस्था में इनका नाम गौरी था जब ये विवाह योग्य हुईं तो इन्होंने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिये घोर तपस्या की।...

कुमाऊँ की सूर्य प्रतिमाएं

आकाश में दिखाई देने वाले ज्योति पिंड के रूप में सूर्य की उपासना का क्रम वैदिक काल से चला आ रहा है । सूर्य और उसके विविध रूपों की पूजा उत्तर वैदिक काल से पल्लवित होती रही है। वेदोत्तर काल से इसका और भी विस्तार हुआ ।...

शिल्प में महिषासुरमर्दिनी

 प्राचीन भारतीय वाङमय में शक्ति उपासना की परम्परा सम्भवतः देवी शक्ति से सामर्थ ग्रहण करने के उद्देश्य से ही की जाती होगी । साहित्यिक स्त्रोतों एवं पुरातात्विक उत्खननके आधार पर शक्ति उपासना की परम्परा व विकास का...

कामदेव भी पूजे जाते थे उत्तराखंड में

भारतीय साहित्य में अनुरागी मन को मथने वाले जिस देवता का उल्लेख है -वह हैं कामदेव। वे तन को सक्रिय रखकर, मन को निरन्तर मथते रहते हैं, इसलिए उनका नाम मन्मथ भी है। वह सभी देवों से पहले उपत्न्न हुए इसलिए उन्हें अग्रजन्मा...

उत्तराखंड में कुबेर

उत्तर दिशा के दिक्पाल कुबेर धन व विलास के देवता कहे गये हैं। वे यक्षों के अधिपति हैं। प्राचीन ग्रंथों में उन्हें वैश्रवण, निधिपति एवं धनद नामों से भी सम्बोधित किया गया है। वे ब्रहमा के मानस पुत्र पुलस्त ऋषि तनय वैश्रवा...

प्रस्तर शिल्प में गंगा

भारतीय मानस में गंगा का स्वरूप केवल जलधारा अथवा वेगमती सरिता का नहीं है। वे समूचे भारतीय समाज में जिस रूप में बसी हैं उसकी व्याख्या करना भी सम्भव नहीं है। उनका स्वरूप आध्यात्मिक है, दिव्य है, वत्सल है, चारू है और मां के...

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