अल्मोड़ा की नंदादेवी और उनकी विरासत

उत्तराखंड की देवभूमि में नंदादेवी केवल एक देवी नहीं, बल्कि समूचे उत्तरांचल की सामूहिक एकरूपता का भी एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक हैं। अल्मोड़ा स्थित नंदादेवी मंदिर आज जिस श्रद्धा और सम्मान का केंद्र है, उसका इतिहास सदियों पुराना और कई सांस्कृतिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। Himvan नंदादेवी की...

पाताल देवी मंदिर अल्मोड़ा मां दुर्गा के पत्रेश्वरी रूप  को समर्पित है

उत्तराखंड की धरती देवी-देवताओं की भूमि मानी जाती है, जहां प्रकृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसी देवभूमि में स्थित है पाताल देवी मंदिर अल्मोड़ा जो मां दुर्गा के पत्रेश्वरी रूप  को समर्पित है तथा जिन्हें नगर की ऱ़क्षा करने वाली नौ देवियों में से एक माना जाता है। कौशल सक्सेना...

न्याय देती हैं कोटगाड़ी की मां भगवती

कौशल सक्सेना उत्तराखंड की सुंदर पहाड़ियों में बसा कोकिला देवी कोटगाड़ी भगवती मंदिर ईश्वरीय न्याय का एक शक्तिशाली प्रतीक है। निष्पक्षता और धार्मिकता की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजी जाने वाली भगवती मां की पूजा भक्तगण व्यक्तिगत विपत्तियों को दूर करने की प्रार्थना के साथ करते हैं। यहां भक्त अपनी...

बडेन मेमोरियल  मेथोडिस्ट चर्च अल्मोड़ा

बडेन मेमोरियल  मेथोडिस्ट चर्च अल्मोड़ा में स्थित एक ऐतिहासिक चर्च है। इसे जॉन हेनरी बुडेन की याद में बनाया गया था।  वह एक मेथोडिस्ट मिशनरी थे जिन्होंने कई वर्षों तक अल्मोड़ा में मिशनरी सेवा की थी। चर्च गोथिक वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है और नगर का एक लोकप्रिय स्थल है। हिमांशु साह चर्च...

स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है काकड़ीघाट

स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक यात्रा में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित काकड़ीघाट का विशेष स्थान है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ उन्होंने ऐसी गहन अनुभूति का अनुभव किया जिसने ब्रह्मांड के बारे में उनकी जिज्ञासा का स्पष्ट समाधान किया। अभी भी काकडी़घाट का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों और आगंतुकों को...

श्रेणी: आस्था के प्रमुख केंद्र

बाबा हुसैन अली शाह की मजार

अल्मोड़ा नगर में चंद वंश का शासन सन् 1790 ई0 में गोरखों के आगमन के साथ ही समाप्त हो गया। गोरखा शासन भी अपने अत्याचारों के कारण यहाँ अधिक लम्बे समय तक नहीं चल पाया और अंग्रेजों ने अल्मोड़ा नगर में सन् 1815 में गोरखों को...

दर्शनीय है पाताल भुवनेश्वर

डीडीहाट तहसील से गंगोलींहाट कस्बे से ११ किमी. की दूरी पर पट्टी तल्ला बडाऊँ माना डीडीहाट क्षेत्र से पाताल भुवनेश्वर नामक ग्राम है । इस गांव में एक प्राचीन दर्शनीय गुफा भूगर्भ के अन्दर है । भूगर्भ के अन्दर की वृहदाकार...

कुमाऊँ की आराध्य देवी हैं – हाट कालिका गंगोलीहाट

यूँ तो कुमाऊँ का कण-कण सौन्दर्य से परिपूर्ण है लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी हैं जहा जाकर मन सम्मोहन की सीमा में पहुंच जाता है । पिथौरागढ जनपद के गंगोलीहाट कस्बे का काली मंदिर इनमें से एक है । गंगोली कस्बे की खूबसूरत घाटी में...

सारदा मठ, कसारदेवी-अल्मोड़ा

<p></p> हिमालय की भारत के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्वामी विवेकानंद तो हिमालय की इस आध्यामिक भूमिका के हमेशा ही प्रशंसक रहे। उन्होने कुमाऊँ हिमालय की चार बार यात्रायें की।...

नन्दादेवी मंदिर-अल्मोड़ा

नन्दादेवी परिसर में तीन देवालय विद्यमान हैं । इनमें से दो मंदिर उद्योतचन्देश्वर तथा पार्वतेश्वर मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से पुराविदों एवं स्थापत्य में रुचि रखने वालों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बने हैं । तीसरा...

बालेश्वर मंदिर-चम्पावत

बालेश्वर का मंदिर शिल्प अपने आप में अनोखा है। इसका शिल्प कुमाऊँ में प्राप्त अन्य मंदिरों से अलग है । यह एक संयुक्त मंदिर है जिससे कभी दो मंदिर रहे होंगे जो आच्छादित कर एक दूसरे से जोड़े गये थे । प्रतीत होता है कि...

बैजनाथ देवालय

बैजनाथ को कत्यूरी नरेशों की पुरानी राजधानी कार्तिकेंयपुर से जोड़ा जाता है । यह स्थान अल्मोड़ा-बागेश्वर मार्ग पर कौसानी से 18 किमी. की दूरी पर बसा है । स्कन्द पुराण के मानस खंड में गोमती नदी एवं गारूड़ी नदियों के संगम पर...

अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत है- कटारमल सूर्य मंदिर

कटारमल का सूर्य मंदिर-उत्तर भारत की मध्य कालीन वास्तुकृतियों में विशिष्ट स्थान रखता है। अल्मोड़ा नगर से 13 किमी की दूरी पर बसे कोसी कस्बे से डेढ़़ किमी0 की पैदल चढ़ाई चढ़ कर अथवा कोसी बाजार से लगभग दो किमी आगे से मोटर मार्ग...

अपनी कलाऔर पुरासम्पदा लिए बेजोड़ है बमन सुआल मंदिर समूह

बमन सुआल वैसे तो एक छोटे से गांव का नाम है जो अल्मोड़ा जनपद के पट्टी मल्ला लखनुपुर से 6 किमी की दूरी पर सुआल नदी तथा थमिया के गधेरे के पास स्थित है। लेकिन बमन सुआल गांव में स्थित एकादश रूद्र नाम का प्राचीन मंदिर समूह...

बागनाथ मन्दिर समूह-परम्परा एवं शिल्प

अल्मोड़ा से लगभग 85 किमी. की दूरी पर स्थित तल्ला कत्यूर में गोमती-सरयू के संगम पर बागेश्वर जिले का मुख्यालय बागेष्वर स्थित है । इसे उत्तराखण्ड का प्रयाग भी कहा जाता है । लोकोक्ति हैं कि जिस प्रकार भगीरथ ने गंगा का अवतरण...

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