अल्मोड़ा उत्तराखंड का एक ऐतिहासिक नगर है जो प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, सामाजिक और स्थापत्य दृष्टि से अत्यंत समृद्ध रहा है। इसकी पहचान न केवल अपने नैसर्गिक सौंदर्य से है, बल्कि यहां की इमारतों में भी विविध क्षेत्रों की स्थापत्य शैलियों का अद्भुत समावेश देखने को मिलता है।

इसी सांस्कृतिक समन्वय और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा जिसकी स्थापना वर्ष 1889 में हिंदू हाई स्कूल के रूप में हुई थी। वर्ष 1921 में इस विद्यालय को राजकीय इंटर कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ और इसी वर्ष श्री जैसी पावेल प्राइस ने इसके पहले प्राचार्य के रूप में कार्यभार संभाला।
भवन की स्थापत्य शैली और विशेषताएं
राजकीय इंटर कॉलेज, अल्मोड़ा का भवन स्थापत्य कला का अनुपम नमूना है, जिसे इंडो-यूरोपीय शैली में निर्मित माना जाता है। इसका निर्माण कार्य मुख्यतः वर्ष 1905 से 1910 के बीच हुआ था। यह शैली भारतीय और अंग्रेजी स्थापत्य कलाओं का समन्वय है जिसे यहां बड़ी सुंदरता से लागू किया गया है। भवन में विशाल दरवाजे, मेहराबदार खिड़कियाँ, शीशे का महीन काम और ऊँची-ऊँची छतें इसकी भव्यता को दर्शाते हैं। छतों पर इंग्लैंड से आयातित टीन की पतली चादर लगाई गई हैं।
इस भवन की एक विशेषता यह है कि यह पूरी तरह एक मंजिला है और इसके सभी कमरे भूतल पर बने हुए हैं। दीवारें स्थानीय पत्थरों से 65 से 70 सेंटीमीटर मोटी बनाई गई हैं, जिनमें उत्कृष्ट निर्माण कला की झलक मिलती है। छतों के नीचे लकड़ी की सुंदर नक्काशी की गई है। पुराने समय में हर कमरे में आग जलाने की व्यवस्था भी थी जो अब लुप्त हो चुकी है। भवन का ऐसा निर्माण है कि चाहे कितनी भी बर्फबारी हो, इसकी छतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह न तो अधिक गर्म होता है और न ही अधिक ठंडा।
स्थानीय संसाधनों का प्रभावी प्रयोग

विद्यालय के भवन निर्माण में पूरी तरह स्थानीय सामग्री का उपयोग किया गया है। खंभे स्थानीय पत्थरों को तराश कर बनाये गये हैं खिड़कियाँ और दरवाजे और बीम लकड़ी से बनी हुई हैं। प्रार्थना स्थल भी पत्थरों से बना है । जल निकासी की व्यवस्था अत्यंत वैज्ञानिक है। कमरों की ऊँचाई लगभग 20 से 25 फीट है और फर्श पूरी तरह लकड़ी का बना है। विद्यालय लगभग 650 नाली भूमि में फैला हुआ है।
ऐतिहासिक महत्व
इस भवन का गौरवशाली इतिहास भी है। 27 जुलाई 1897 को स्वामी विवेकानंद ने यहीं पर “सिद्धांत और व्यवहार में वेदों का उपदेश” विषय पर अपना प्रथम हिंदी भाषण दिया था। यह इस संस्थान के लिए अत्यंत गौरव की बात है, जो इसे केवल शैक्षणिक ही नहीं अपितु सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी विशिष्ट बनाती है।
संरक्षण की आवश्यकता
राजकीय इंटर कॉलेज, अल्मोड़ा न केवल शिक्षा का प्राचीन केंद्र है, बल्कि यह भवन हमारी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और स्थापत्य परंपरा का प्राचीन प्रतीक भी है। यदि हम इसे संरक्षित रख सकें, तो आने वाली पीढ़ियों को यह बताने योग्य रहेगा कि अल्मोड़ा भी शिक्षा, संस्कृति और वास्तु शिल्प का केंद्र बिंदु रहा है।