कुमाऊँ के देवालय – निर्माण तथा परिरक्षण

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में प्राचीन मंदिरोंके निर्माण की परम्परा लगभग सातवीं शती से निरन्तर पल्लवित होती रही है। इस क्षेत्र में मंदिर निर्माण क्रमानुसार लकड़ी, ईंट तथा मजबूत पत्थरों इत्यादि से हुआ। लकड़ी की प्रकृति दीर्घजीवी न होने के कारण काष्ठ निर्मित मंदिरों के निर्माण की परम्परा का अवसान...

ऐतिहासिक है अल्मोड़ा का रामशिला मंदिर

अल्मोड़ा नगर के अति प्राचीन देवालयों में रामशिला मंदिर का स्थान पहला है। अल्मोड़ा की बसासत के दूसरे चरण के अन्तर्गत राजा रूद्रचंद के कार्यकाल में वर्ष 1588-89 में एक नये अष्ट पहल राजनिवास का निर्माण नगर के मध्य में करवाया गया था जो मल्ला महल कहलाता था। इसी मल्ला महल के केन्द्र में रामशिला मंदिर...

नारायणकाली मंदिर समूह अल्मोड़ा

यद्यपि उत्तराखंड के सर्वाधिक देवालय कुमाऊँ के अल्मोड़ा -पिथौरागढ़ जनपदों में बिखरे हैं और उनकी वास्तु शैली तथा कलात्मकता की पर्याप्त चर्चा भी हुई है फिर भी इस जनपद के अनेक सुन्दर एव प्राचीन देवालयों की सम्पूर्ण जानकारी अभी तक विद्धत समाज को नहीं हो सकी है । नारायण काली मंदिर भी इसी तरह के हैं ।...

डंडेश्वर देवालय जागेश्वर

जागेश्वर मंदिर समूह का प्रसि़द्ध डंडेश्वर देवालय आरतोला से जागेश्वर की ओर जाते हुए, जागेश्वर के मुख्य मंदिर समूह से लगभग एक किमी पहले, जटागंगा तथा दूध गंगा के संगम पर देवदार के घने जगल में है। दंडेश्वर मंदिर जागेश्वर मंदिर समूह का सबसे उंचा मंदिर है। उत्तर भारतीय शैली में निर्मित यह देवालय...

अनूठा देवालय है गूजरदेव मंदिर, द्वाराहाट

द्वाराहाट नगर अल्मोड़ा जनपद का प्रमुख ऐतिहासिक व सांस्कृतिक केन्द्र है जहां कत्यूरी राजाओं ने अनेक नौले व देवालय बनवाये थे। समूचे द्वाराहाट में ही यूॅू तो देवालयों की प्रचुरता है लेकिन वास्तु, शैली एवं पुरातत्व की दृष्टि से गूजरदेव देवालय सबमें अनूठा है। यह देवालय द्वाराहाट नगर में शालदेव पोखर के...

श्रेणी: देवालय एवं शिल्प

अद्भुत शिल्प है एक हथिया देवाल का

पिथौरागढ जनपद का यह प्रसिद्ध देवालय बेरीनाग के निकट थल नामक स्थान से डेढ़-दो किमी. की दूरी पर अल्मियां नामक गांव में स्थित है । कभी यह परम्परागत शिल्पियों का गाँव भी रहा है । इसी गाँव के मध्य में स्थित एक जल प्रपात है...

बागनाथ मन्दिर समूह-परम्परा एवं शिल्प

अल्मोड़ा से लगभग 85 किमी. की दूरी पर स्थित तल्ला कत्यूर में गोमती-सरयू के संगम पर बागेश्वर जिले का मुख्यालय बागेष्वर स्थित है । इसे उत्तराखण्ड का प्रयाग भी कहा जाता है । लोकोक्ति हैं कि जिस प्रकार भगीरथ ने गंगा का अवतरण...

ज्योतिर्लिंग जागेश्वर

हिमालय शिव का आवास है । इसकी पर्वत श्रेणियों पर शिव सर्वत्र विचरण करते हैं। शिव के उन्मुक्त विचरण के कारण ही मध्य हिमालय की इन श्रृंखलाओं को शिवालिक के नाम से जाना जाता है । इसी शिवालिक अंचल में अल्मोड़ा नगर से ३५ किमी...

उत्तरांचल के मंदिरों के प्रवेशद्वार – कला एवं परम्परा

भारतीय भवनों तथा देवालयों की संरचना में प्रवेश द्वार का निर्माण समूचे भवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना गया है। इसी लिए प्राचीन मंदिरों तथा भवनों की सुन्दरता में वृद्धि करने के लिए प्रवेशद्वारों को भव्य रूप देने तथा...

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